शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

सफल होना है तो फायदा और नुकसान का अवलोकन करें।

जाड़े का समय था। महाराज अकबर ने अपने नगर में ऐलान करवा दिया कि जो भी व्यक्ति बिना किसी सहारे के नदी में रात भर रह जायेगा उसे उचित इनाम दिया जायेगा। ठण्ड इतनी तेज थी कि कोई भी व्यक्ति नदी में रात भर रहने को तैयार नहीं था। सभी को  इस बात का डर था कि  इतनी ठंडी में नदी में खड़ा  रहने का मतलब खुद मौत के मुँह में जाना है। लेकिन कहा गया है कि मजबूरी आदमी से कुछ भी करवा सकती है। जब व्यक्ति के ऊपर कोई गंभीर मुसीबत रहती है तो वह उस मुसीबत से निकलने के लिए अपनी जान तक का भी परवाह नहीं करता।

सोहन नाम का व्यक्ति था। उसकी बेटी की शादी इसलिए नहीं हो पा रही थी क्योंकि उसके पास शादी करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। उन्होंने बहुत लोगों के सामने धन के लिए हाथ फैलाया लेकिन कोई भी व्यक्ति उसका मदद करने के लिए तैयार नहीं था। वह बहुत ही चिंतित हो गया था , उसे कोई उपाय ही नहीं सूझ रहा था कि कहाँ से धन लाया जाये ? धन नहीं रहेगा तो बिटिया की शादी कैसे होगी ? लोग ताने मारेंगे कि सोहन तेरी बिटिया जवान हो गयी है और अब तक तूने उसकी शादी नहीं की। यह सब सोचकर वह बहुत दुखी होता था। 
जब महाराज की बात सोहन को पता चली तो वह निर्णय किया की मैं इतनी ठण्ड में भी रात भर नदी में रहूँगा। अगर जान बच गयी तो बिटिया की शादी हो जाएगी नहीं बची तो इस दुःखमयी भरी जिंदगी से छुटकारा तो मिल जायेगा। वह अगले दिन सुबह महाराज के दरबार में गया और महाराज से कहा की महाराज मैं रात भर नदी में खड़े रहने के लिए तैयार हूँ। महाराज ने कहा ठीक है अगर तुम रात भर इतनी तेज ठंडी में खड़े रहने में सफल हुए तो तुमको मुँह माँगा इनाम मिलेगा। 
शाम के वक्त सोहन नदी में खड़ा रहने के लिए तैयार हो गया। महाराज ने कुछ सिपाहियों को यह निगरानी करने के लिए लगा दिए कि सोहन रात भर नदी में खड़ा है की नहीं। सोहन महाराज से आज्ञा लेकर नदी में खड़ा हो गया। नदी के किनारे पास में ही एक मंदिर था , जिसके शीर्ष पर एक दिया जल रहा था। सोहन ने अपना पूरा ध्यान उस दिये के लौ पर लगाकर माँ दुर्गा का जाप करने लगा। उसने बहुत मुसीबत सहकर किसी तरह से पूरी रात उस नदी में गुजार दिया। जब सुबह हुई तो उसका पूरा शरीर ठण्ड से काँप रहा था। सैनिकों ने सोहन को जल से बाहर निकाला और उसका कपड़ा बदलवाकर अलाव के पास ले गए। थोड़ी देर के बाद उसका शरीर नार्मल हो गया।
उसे महाराज के पास प्रस्तुत किया गया। महाराज ने कहा तुमने इतनी ठण्ड में भी पूरी रात नदी में कैसे गुजार दी। सोहन ने कहा महाराज मैंने अपना पूरा ध्यान मंदिर के ऊपर जल रहे दीपक के लौ पर केंद्रित कर दिया था जिसके कारण मैं पूरी रात इतनी ठण्ड में भी रह गया , जब भी मेरा ध्यान भटकता तो मैं इस बात को याद कर लेता था कि अगर मैं रात भर नदी में नहीं रहा तो मेरी बेटी का शादी कैसे होगा , जिसके चलते मेरा ध्यान तुरंत एकाग्र हो जाता था। महाराज ने प्रसन्न होकर सोहन को उसका इनाम दे दिया।
इसलिए दोस्तों अगर आपने यह तय कर लिया कि किसी कार्य को करने से क्या फायदा होगा और न करने  करने से क्या नुकसान होगा  तथा मन को एकाग्र काके मेहनत करेंगे तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। 

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